आप्रवास, विदेशी विषयक विधेयक 2025 को जेपीसी में भेजने की मांग

Demand to send Immigration, Foreigners Bill 2025 to JPC

नई दिल्ली, विपक्ष ने आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक 2025 में सरकार को कथित रूप से मनमाने ढंग से दोषियों की व्याख्या करने का अधिकार दिये जाने का विरोध किया और कहा कि इस विधेयक में भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है इसलिए इस विधेयक को समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति में भेजा जाना चाहिए।लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक 2025 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि किसी भी विधेयक में संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों का विचार किया जाना चाहिए और हमें देखना चाहिए कि लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हो। उन्होंने कहा कि यदि संविधान से मौलिक अधिकारों को निकाल दिया जाये तो उसकी अंतरात्मा मर जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के अनुच्छेद 3 में देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता का सवाल है कि उस पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन इसमें किन्ही विदेशी देश के नागरिकों को छूट देना और किसी को नहीं देने के विवेक अधिकार सरकार को दिया जाने से इस विधेयक के दुरुपयोग की संभावना बढ़ेगी। सरकार राजनीतिक विचारधारा से इत्तेफाक नहीं रखने वालों के विरुद्ध मनमानी कार्रवाई कर सकती है। जैसे किसान आंदोलन के समय दो तीन लोगों को आने से रोका गया था और उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में सम्मानित भी किया गया था।श्री तिवारी ने कहा कि इस मामले में अप्रवासन अधिकारी को असीम शक्तियां दीं गयीं हैं। उनके निर्णय को अंतिम बनाया गया है। उस पर कोई अपीलीय प्रणाली नहीं बनायी गयी है। अप्रवासन अधिकारी के निर्णय को उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी। जबकि अमेरिका एवं कनाडा जैसे देशों में भी अपीलीय प्रणाली है। उन्होंने मांग की कि इसमें अप्रवासन न्यायाधीश की प्रणाली लागू करने और इसे संस्थागत बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि ‘डैमेज्ड पासपोर्ट’ का जब्त करने का अधिकार अप्रवासन अधिकारी को दिया गया है। ‘डैमेज्ड पासपोर्ट’ को परिभाषित किया नहीं गया है। इसी प्रकार से सरकार को इस बात का अधिकार दिया गया है कि किसी भी विदेशी नागरिक को कहीं भी जाने से रोका जा सकता है। इस अधिकार का सरकार मनमाने ढंग से प्रयोग कर सकती है। उन्होंने कहा कि विधेयक में किसी पर विदेशी नागरिक होने का आरोप लगता है तो खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी पर होगी। यह भारत के न्याय के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ है।

श्री तिवारी ने कहा कि किसी पर शक होने पर हेड कॉन्स्टेबल को उसे गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है जो गलत है। यह अधिकार किसी इन्स्पेक्टर स्तर के अधिकारी को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इस कानून के माध्यम से विदेशी नागरिकता के नाम पर लोगों का उत्पीड़न कर सकती है। उन्होंने मांग की कि इस संवेदनशील विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास समीक्षा के लिए भेजा जाना चाहिए।भाजपा की अपराजिता सारंगी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि भारत में अतिथियों को सम्मान देने की प्राचीन परंपरा रही है। लेकिन हमें देश की रक्षा पर इसके प्रभावों को लेकर भी संवेदनशील होना जरूरी है। उन्होंने कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के संतुलन बनाने के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में दो करोड़ से अधिक बंगलादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठिये हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए चार कानूनों – पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939, विदेशी विषयक अधिनियम 1946 और आप्रवास (वाहक दायित्व) अधिनियम 2000 के स्थान पर लाया गया है। यह कानून औपनिवेशिक मानसिकता से निकल कर भारत की जरूरतों के आधार पर बनाया गया है।

श्रीमती सारंगी ने कहा कि देश में कौन आ सकता है और कौन नहीं आ सकता है और किसे देश छोड़ कर जाना है। इसे सरकार को तय करना चाहिए। जितने भी शैक्षणिक संस्थान हैं, नियमों के उल्लंघन पर उन पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न समितियों की रिपोर्टों के आधार पर इस विधेयक काे लाया गया है। इसे छह बिन्दुओं पर तैयार किया गया है।समाजवादी पार्टी के राजीव राय ने कहा कि भारत अपने यहां जैसे कानून बना रहा है, उसमें संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की बात का पालन जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत के अवैध प्रवासियों को हथकड़ी बेड़ियों में बांध कर भारत भेजा है। ऐसे में क्या सरकार अमेरिका के किसी अवैध प्रवासी को भी हथकड़ी लगा कर वापस भेज सकती है। उन्होंने कहा कि देश में घुसपैठियों के नाम पर राजनीति नहीं हो और उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

तृणमूल कांग्रेस के प्रो. सौगत राय ने कहा कि एक तरफ हम चाहते हैं कि विदेशी नागरिक भारत में सैर सपाटे पर आयें और ताज महल एवं लाल किला देखें ताकि हमारे देश का विदेशी मुद्रा भंडार भरे। गत वर्ष अमेरिका से 17 लाख और ब्रिटेन से 9.86 लाख लोग आये हैं। लेकिन इसमें कोई ऐतराज नहीं हैं कि अवांछित लोग नहीं आयें। उन्होंने कांग्रेस के मनीष तिवारी के तर्कों का समर्थन करते हुए दोहराया कि इस विधेयक का बारीक समीक्षा के लिए संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाये।

द्रमुक की कनिमझी करुनानिधि ने आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक 2025 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार भारतीय मछुआरे की रक्षा नहीं कर पा रही हैं। मछुआरों को गिरफ्तारी से नहीं बचा पा रहे हैं और वह महीनों जेल में रहते हैं। नब्बे हजार श्रीलंकाई तमिल भारत में रह रहे हैं वह इस विधेयक से बुरी तरह से प्रभावित होंगे। इस विधेयक से पुनर्वास शिविरों में रहने रहे आप्रावसी भी प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु श्रीलंकाई 40 साल से रहने के बावजूद उन्हें अपराधी के रुप में देखा जाएगा जो उचितन नहीं है।

तेलुगु देशम पार्टी के पुत्ता महेश कुमार ने कहा कि गैरकानूनी अप्रवासी देश के लिए चिंता की बात है। पिछले दशक में अप्रवासियों की संख्या 10 से 15 प्रतिशत बढ़ गया है। वर्ष 2020-21 में रिपोर्ट किया गया था कि दो मिलियन वैसे अप्रवासी भारत में रह रहे हैं जिनके पास कोई कागजात नहीं है। वह पड़ोसी देशों से आये हैं। उन्होंने कहा,“ देश में पड़ोसी देशों से लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ रहे हैं। पिछले एक दशक से भारत में उच्च शिक्षा के लिए आ रहे हैं। भारत एक वैश्विक शिक्षा का केंद्र बन गया है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए उन्हें सुरक्षा देने के लिए। चिकित्सा के लिए जो हम देश से बाहर जाया करते थे अब अनेक देशों के लोग भारत आ रहे हैं। चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। हमारी चिकित्सा संस्थान में अपार संभावनाएं है। इस विधेयक में अप्रवासन नियमों के सही से पालन कराने में आसानी होगी।”

जनता दल यूनाइटेड की लवली आनंद ने कहा,“ यह बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है। हमारा देश चारों तरफ से सुरक्षित होना चाहिए। देश जब सुरक्षित रहेगा तब हम सुरक्षित रहेंगे।” उऩ्होंने कहा कि अभी बंगलादेश में राजनीतिक उथल पुथल होने की वजह से वहां से देश में लोग घुसपैठ करके आ रहे हैं। बिहार के कई जिले नेपाल से लगा है जहां से घुसपैठिए बिहार में आ रहे हैं जिन्हें रोकने के कोई उपाय नहीं किये जा रहा है। म्यामांर से मणिपुर में घुसपैठ की वजह से पिछले दो साल से मणिपुर में समस्या उत्पन्न है। घुसपैठियों की वजह से वहां शांति करने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के आने घुसपैठियों को रोकने में सफल होगा। विधेयक से राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी और संभावित खतरों को रोकने में मदद मिलेगा। यह भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए अहम विधेयक है।

शिवसना (उद्धव गुट) के अनिल देसाई ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस विधेयक से अन्य देशों के साथ भारत संबंध में किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा,“ शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल के बारे में महत्व दिया गया है। विदेशों के साथ संबंध के मामले में संतुलन बनाने की जरूरत है। हमारी सीमाएं खुली है जिससे बंगलादेशी औऱ रोहिंग्या हमारे देश में घुस जाते हैं। इसे रोकने के लिए कठोर व्यवस्था करने की आवश्यकता है। हमारी सीमाओं को सील करने की आवश्कता है ताकि घुसपैठ की समस्याओं को दूर किया जा सके।”

शिवसना (उद्धव गुट) के श्रीरंग अप्पा बारणे ने कहा कि घुसपैठियों को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि कई विपक्ष की पार्टियां अवैध घुसपैठियों की मदद करती है ताकि राजनीतिक लाभ ले सके। उन पार्टियों को यह समझ नहीं आता है कि घुसपैठिए देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार बंगालदेशी घुसपैठियों की संख्या लगातार बढती जा रही है अब विधेयक के माध्यम से इसे रोकने में सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि घुसपैठियों की वजह से कई राज्यों में जनसंख्या का संतुलन में भी बदलाव आया है। उऩ्होंने कहा कि अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए सरकार निरंतर काम कर रही है।

कांग्रेस के सुखदेव भगत ने कहा कि यह विधेयक बहुत ही संवेदनशील और देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आव्रजन अधिकारी को निरंकुश बनायेगा। उऩ्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हम पक्षधर हैं लेकिन यह विधेयक में आकाश से गिरे और खजूर पर अटकने वाली बात हो रही है। सीमा सुरक्षा बल सीमा की रक्षा करते हैं तब घुसपैठिये किस प्रकार देश में घुसपैठ कर रहे हैं। सरकार को इस विधेयक पर गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। अब विदेश से आने वालों की सारी गतिविधियां ट्रक की जाएगी तो यह किस देश की छवि बनेगी। इस प्रकार से नागरिक के अधिकारों का हनन होगा। इसे जेपीसी के पास भेजा जाए ताकि हर विन्दुओं पर गंभीरता से विचार किया जा सके।

भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि विदेशी लोग पश्चिम बंगाल को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए एक कठोर कानून की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से सीमा पार करके आने वाले घुसपैठियों को रोकने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने कहा कि यह विधेयक कार्यपालिका को असीमित शक्तियां देता है और संवैधानिक अधिकारों को खतरे में डालता है। हमारा संविधान पहले से सरकार को सारी शक्तियां देती है फिर इस विधेयक की क्या जरूरत है। सरकार नौकरशाही केंद्रित कर राज्यों की शक्तियों कम करने का काम करेगा। यह विधेयक पीडितों की मदद करने के बजाय उसे अपराधी बना देता है। भारत हमेशा राजनीति शरणार्थियों का आश्रय स्थल रहा है। अब सरकार शरणार्थियों को अपराधी बनाने वाला कानून बनाने जा रही है।

 

 

 

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