भारत के लिए 7 फीसदी की ग्रोथ रेट को बनाए रख पाना संभवः आईसीसीआई
It is possible for India to maintain a growth rate of 7 percent: ICCI
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मैन्युफैक्चरिंग और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की वजह से आर्थिक वृद्धि दर लगभग 8 फीसदी रहने की संभावना है.
नई दिल्ली. वित्त वर्ष 2023-2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ बढ़कर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है. जबकि पिछली तिमाही में देश की जीडीपी 7.6 प्रतिशत रही थी. रिजर्व बैंक की मोनेटरी पालिसी कमेटी (एमपीसी) के सदस्य शशांक भिडे ने भी कहा कि अनुकूल मानसून, उच्च कृषि उत्पादकता और बेहतर वैश्विक व्यापार के दम पर चालू वित्त वर्ष और उसके बाद भी भारत के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रख पाना मुमकिन है. इस पर इंटीग्रेटेड चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आईसीसीआई) के जनरल सेक्रेटरी और राउरकेला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज के सेक्रेटरी डॉ. आर्य पटनायक कहते है कि हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मैन्युफैक्चरिंग और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की वजह से आर्थिक वृद्धि दर लगभग 8 फीसदी रहने की संभावना है. चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि को अनुकूल मानसून और बेहतर वैश्विक व्यापार के साथ कृषि क्षेत्र से भी समर्थन मिलने की संभावना है. 7 फीसदी की वृद्धि दर को बनाए रखना संभव लगता है. साथ ही लंबी अवधि में खाद्य मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए उत्पादकता में सुधार की जरूरत प्रमुख कारक बनी रहेगी. जनरल सेक्रेटरी, आईसीसीआई कहते हैं कि हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने घरेलू मांग की स्थिति और बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी का हवाला देते हुए वर्ष 2024 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। हाल के वर्षों में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति का एक पहलू सब्जियों जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं पर मौसम की स्थिति का प्रभाव है. हालांकि इस तरह की मूल्य वृद्धि अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन उनका प्रभाव महत्वपूर्ण है.