गेहूं की खुले बाजार में बिक्री की जरूरत नहीं

There is no need to sell wheat in the open market

 

नई दिल्ली, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने गुरुवार को कहा कि खुला बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकारी भंडार से गेहूं बेचने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आपूर्ति पर्याप्त है और कीमतें स्थिर हैं। सरकार, भारतीय खाद्य निगम द्वारा प्रबंधित केंद्रीय पूल से अधिशेष भंडार को पूर्व निर्धारित आरक्षित मूल्य पर सीधे बाजार में बेचकर गेहूं की आपूर्ति और कीमतों को विनियमित करने के लिए खुला बाजार बिक्री योजना का संचालन करती है। चोपड़ा ने कहा, पर्याप्त भंडार मौजूद है। हमने काफी अच्छी मात्रा में खरीद की है। इसलिए बाजार में पर्याप्त आपूर्ति है। कीमतें पहले से ही स्थिर हैं।इसलिए (गेहूं ओएमएसएस) की कोई जरूरत नहीं है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में ओएमएसएस के तहत करीब 30 लाख टन गेहूं बेचा, जबकि 2023-24 में करीब 1.01 करोड़ टन गेहूं की बिक्री की गई थी। देश का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 11.75 करोड़ टन रहने का अनुमान है। ओएमएसएस के माध्यम से चावल की बिक्री के बारे में चोपड़ा ने कहा कि सरकार 50 लाख टन चावल की बिक्री कर रही है, जिससे पंजाब, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और हरियाणा सहित चार-पांच राज्यों में टूटे चावल की मात्रा 25 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह जाएगी। इसका उद्देश्य 100 प्रतिशत टूटे चावल में से 15 प्रतिशत चावल ‘डिस्टिलरी’ और अन्य को बेचना है, जबकि शेष 10 प्रतिशत टूटे चावल की नीलामी निजी व्यापारियों को की जाएगी।

 

 

 

 

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