एंटरप्रेन्योरशिप: नीड ऑफ द ऑवर की थीम पर वेबिनार का आयोजन
Webinar organized on the theme of Entrepreneurship: Need of the Hour
नई दिल्ली. भारत जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए एंटरप्रेन्योरशिप बहुत महत्वपूर्ण है, हमें साल 2024 में पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के अपने सपने को पूरा भी करना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए अधिक नौकरियों और अधिक व्यवसायों की आवश्यकता है, ताकि हम दुनिया की सर्वोच्च अर्थव्यवस्था तक पहुंच सकें. देश में एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए बेहतर माहौल का होना बहुत महत्वपूर्ण है, इसके बगैर विकसित भारत की कल्पना करना मुश्किल है. एंटरप्रेन्योरशिप को लेकर देश में क्या माहौल है, इसके क्या आयाम है, क्या चुनौतियां हैं इस पर इंटीग्रेटेड चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आईसीसीआई) ने देश के तमाम मशहूर उद्यमियों और शिक्षाविदों को जोड्ते हुए एक सफल वेबिनार का आयोजन किया. वेबिनार का थीम ‘एंटरप्रेन्योरशिप: नीड ऑफ दी ऑवर’ था. वेबिनार में सबसे पहले बोलते हुए ASM ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूट्स के चेयरमैन डॉ. संदीप पचपांडे कहा कि साल 2047 तक एक गतिशील और सशक्त भारत को विकसित आकार देने के लिए देश में एंटरप्रेन्योरशिप को अभी और बढ़ावा देने की जरुरत है. उद्यमशीलता किसी भी राष्ट्र की उन्नति की आधारशिला है. हमारा दृढ़ विश्वास है कि बेहतर उद्यमशीलता के माहौल के दम पर ही हम विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर सकते है. दुनिया भर में, तीन में से दो नौकरियां छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) द्वारा क्रिएट जाती हैं। कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में, निजी क्षेत्र में कुल रोजगार सृजन का 50 प्रतिशत से अधिक का श्रेय 100 से कम कर्मचारियों वाले उद्यमों को दिया जा सकता है. 90 प्रतिशत से अधिक व्यापारिक आबादी के साथ एसएमई अधिकांश आर्थिक इकाइयों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, एसएमई रोजगार पैदा करने और गरीबी और असमानताओं को कम करने के लिए एक केंद्रीय आर्थिक और सामाजिक शक्ति हैं. वेबिनार में बोलते हुए जेएनसीटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. अनुपम चौकसे कहते है कि हाल के सालों में देश में मोदी सरकार ने एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप और एसएमई के विकास को एक प्राथमिकता दे रही है. स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, अटल इनोवेशन मिशन, मुद्रा बैंक और आत्मनिर्भर भारत ऐप इनोवेशन चैलेंज जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों और योजनाओं ने फंडिंग, सलाह और इनोवेशन की सुविधा प्रदान की है. साथ ही देश में शुरुआती चरण के स्टार्ट-अप के इनोवेशन के लिए निजी और कॉर्पोरेट क्षेत्र की पहल में भी वृद्धि देखी गई है. इसके अलावा, देश में परिपक्व प्रौद्योगिकी-संचालित इकोसिस्टम ने नए उद्यमशीलता उद्यमों को समृद्ध होने के लिए उपजाऊ जमीन प्रदान की है. वेबिनार को संचालित करते हुए सुशांत यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर राकेश रंजन ने कहा कि हमें आज माइंडसेट चेंज करने की जरुरत है और इस दिशा में मोदी सरकार काफी प्रयास कर रही है. ग्रामीण इलाकों में व्यवसाय पर बल दिया जा रहा है. मुद्रा योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे तमाम योजनाओं से आज स्थिति काफी बदली है. वेबिनार में आगे बोलते हुए राउरकेला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज के सेक्रेटरी डॉ. आर्य पटनायक ने कहा कि 1991 से जो देश में उदारीकरण का दौर चला तब से लेकर अब तक उद्यमशीलता के लिए एक अनुकूल माहौल बनता गया है और हाल के कुछ सालों में तो एंटरप्रेन्योरशिप को बहुत बढ़ावा मिला है. वेबिनार का कोआर्डिनेशन करते हुए इंटीग्रेटेड चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आईसीसीआई) के डायरेक्टर जनरल कमलेन्दु बाली ने कहा कि देश 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है. जैसा कि हम इस अमृत काल का जश्न मना रहे हैं, एक देश के रूप में हमारी सफलता और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की हमारी क्षमता अन्य कारकों के अलावा, काफी हद तक हमारे लोगों की क्षमताओं पर निर्भर करेगी, विशेषकर कामकाजी उम्र की आबादी जो अमूमन 18 से 64 वर्ष की आयु की है. यह 1.41 अरब लोगों का 65 फीसदी से अधिक है. भारत इस कामकाजी उम्र की आबादी द्वारा दिए जाने वाले डेमोग्राफिक डिविडेंड को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार है, बशर्ते कि वे उत्पादक रूप से नियोजित हों और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान दें. वेबेनार में झारखंड राय यूनिवर्सिटी के प्रो वाईस चांसलर प्रोफेसर पीयूष रंजन ने समेत कई वक्ताओं ने अपनी-अपनी बात रखी.