भारतीय सेना की 60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस की विरासत को समर्पित कोरियन युद्ध की 75वीं वर्षगांठ

75th anniversary of Korean War dedicated to the legacy of 60 Para Field Ambulance of Indian Army

 

नई दिल्ली, कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया ने कोरियाई युद्ध की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यहां कोरिया-भारत मैत्री पर बनी एक फिल्म की स्क्रीनिंग कर इस युद्ध में भारतीय सेना की 60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस की ओर से की गयी निःस्वार्थ सेवा को याद किया।कोरियाई युद्ध में भारतीय सेना की 60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस ने संयुक्त राष्ट्र बलों के साथ सेवा दी थी। इस आयोजन ने कोरिया और भारत के बीच गहरी मित्रता और एकजुटता को फिर से पुष्टि की है।फिल्म ‘ताएगुकगी: द ब्रदरहुड ऑफ वॉर’ एक बंटे हुए देश की पीड़ा और युद्ध के समय भाईचारे के रिश्ते को दर्शाती है। यह फिल्म कोरिया और भारत के साझा मूल्यों और बलिदानों की गहरी याद दिलाती है। इसमें वॉन बिन मुख्य भूमिका में हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोंग जून-हो द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मदर’ के लिए जाना जाता है। उनके साथ जांग डोंग-गुन हैं, जो ‘फ्रेंड’ और ‘अ जेंटलमैन्स डिग्निटी’ जैसी हिट फिल्मों के लिए लोकप्रिय हैं। इन दोनों कलाकारों के भारत में भी बड़ी संख्या में प्रशंसक हैं|कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया के निदेशक ह्वांग इल यॉन्ग ने कहा, “फिल्म सिर्फ एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, यादों और समझ को साझा करने का एक मजबूत पुल है। कोरियाई युद्ध के दौरान भारत द्वारा 60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस को भेजना सच्ची दोस्ती और महान बलिदान का प्रतीक है। हमें उम्मीद है कि यह कार्यक्रम दर्शकों को कोरिया और भारत के मजबूत रिश्तों पर सोचने और सिनेमा के माध्यम से एक गहरे जुड़ाव और सहानुभूति का अनुभव करने का मौका देगा।उल्लेखनीय है कि 1950 में भारत ने 60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस की टुकड़ी को कोरिया भेजा, जिसमें 341 चिकित्सा कर्मी शामिल थे। यह इकाई युद्ध के मोर्चे पर तैनात रही और घायल सैनिकों को बचाने और उनका उपचार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। पूरे 25 महीनों तक कोरिया में सेवाएं देते हुए, उन्होंने मानवता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना का आदर्श उदाहरण पेश किया।

फिल्म स्क्रीनिंग के साथ-साथ, दर्शकों को कोरियाई कैलीग्राफी (लिखावट) कार्यशाला में भाग लिया, जहां कोरिया की प्राकृतिक सुंदरता को बहुत ही जीवंत तरीके से अनुभव किया। यह कार्यक्रम केवल देखने तक सीमित नहीं था, बल्कि लोगों को कोरिया के इतिहास और संस्कृति से गहराई से जुड़ने का मौका भी मिला।

 

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