छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल
Chhattisgarh's Kanger Valley National Park included in UNESCO's tentative list

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसे यूनेस्को विश्व धरोहर की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। यह राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ का पहला स्थल है जिसे यह मान्यता मिली है। गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस अनोखे जंगल को वैश्विक पहचान दिलाने की योजना बनाई थी। इसके लिए विशेषज्ञों ने इस जंगल की जैव विविधता, पुरातात्विक महत्व और अनोखी पारिस्थितिकी प्रणाली का गहन अध्ययन किया। इसके बाद यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा गया, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।तितलियों की 140 से अधिक प्रजातियां इस जंगल को बनाती हैं खास कांगेर घाटी सिर्फ एक जंगल नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी दुनिया है। यहां 15 से अधिक चूना पत्थर की गुफाएं हैं, जिनमें कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएं प्रमुख हैं। ये गुफाएं न केवल प्राकृतिक अजूबे हैं, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी बेहद खास हैं। यह जंगल ऊदबिलाव, माउस डियर, विशाल गिलहरी, लेथिस सॉफ्टशेल कछुआ और जंगली भेड़िया जैसे कई दुर्लभ जीवों का भी घर है। यहां 200 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां उड़ती नजर आती हैं, और 900 से अधिक प्रकार के पेड़-पौधे इस जंगल को खास बनाते हैं। इतना ही नहीं, 140 से अधिक तितलियों की प्रजातियां इस जंगल की खूबसूरती को और बढ़ाती हैं।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा, “यह हमारी मेहनत और संकल्प का परिणाम है। यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। इस मान्यता से पर्यटन और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, और हम अपने प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए लगातार काम करते रहेंगे।”यह उपलब्धि जंगल और पर्यावरण संरक्षण के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही स्थानीय जनजातियों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। ध्रुवा और गोंड जनजातियों के लिए यह जंगल सिर्फ एक जंगल नहीं, बल्कि उनके जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। अब जब दुनिया भर से पर्यटक कांगेर घाटी को देखने आएंगे, तो इससे इन जनजातियों और स्थानीय गांवों को भी पहचान मिलेगी। साथ ही, पर्यटन के बढ़ने से रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।हाल ही में, बस्तर के धुड़मारस गांव को UNWTO के “बेस्ट टूरिस्ट विलेज” कार्यक्रम में शामिल किया गया था, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। अब कांगेर घाटी ने इस गौरव को और ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इससे छत्तीसगढ़ इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बना रहा है।
