जो अपनी पार्टी में लोकतंत्र नहीं ला सकते वे संविधान कैसे मजबूत करेंगे : मिलिंद देवड़ा
How can those who cannot bring democracy in their party strengthen the Constitution: Milind Deora

नई दिल्ली,शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि अगर कोई राजनीतिक दल अपने अंदर लोकतंत्र नहीं ला सकता तो वह देश में संविधान और लोकतंत्र को कैसे मजबूत करेगा। मिलिंद देवड़ा ने कहा कि विश्व भर में यदि हम देखें तो किसी भी देश में लोकतंत्र का स्वास्थ्य उस देश के राजनीतिक दलों के लोकतांत्रिक स्वास्थ्य पर निर्भर होता है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव जीतते हैं तो कुछ लोग वोटिंग मशीन का स्वागत करते हैं, लेकिन चुनाव हारने पर कहते हैं कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ है। उन्होंने कहा कि वोटिंग मशीन एक साथ लागू नहीं की गई थी बल्कि धीरे-धीरे पायलट प्रोजेक्ट में लागू हुई थी। उन्होंने कहा कि मुझे तब भी वोटिंग मशीन पर विश्वास था और आज भी वोटिंग मशीन पर विश्वास है। यदि कोई भी एक विश्वसनीय सबूत हो की वोटिंग मशीन से गड़बड़ हो सकती है तो मैं इसके खिलाफ लड़ने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा। लेकिन कुछ लोग कह रहे है कि ईवीएम हटाइए और बैलेट पेपर लाइए। मिलिंद देवड़ा ने कहा कि बैलेट पेपर कोई समाधान नहीं है। पहले बूथ लूट लिए जाते थे। शिवसेना नेता ने कहा कि वर्ष 2017 में चुनाव आयोग ने ईवीएम हैकथॉन का आयोजन किया था। उन्होंने कहा, “मैं आज इलेक्शन कमीशन से कहना चाहता हूं कि हर साल आप एक ग्लोबल ईवीएम हैकथॉन चैलेंज आयोजित कीजिए। ऐसे चैलेंज आयोजित कीजिए जिसमें दुनिया के सबसे बढ़िया हैकर और हर राजनीतिक दल हों। उन्होंने कहा कि लेकिन अगर वे हैक करने में नाकाम रहे तो फिर यह स्वीकार कीजिए कि वोटिंग मशीन को दोष देना केवल एक बहाना है और आपकी पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र और पारदर्शिता नहीं है। मिलिंद देवड़ा ने कहा कि आज भारत का संविधान दुनिया भर के लिए एक प्रकाश स्तंभ, एक लाइट हाउस है। हमने दिखाया है कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों पर कायम रहते हुए बदलते समय के साथ परिवर्तन कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम सब छोटी राजनीति से ऊपर उठकर यह सुनिश्चित करें कि हमारा संविधान और लोकतंत्र अगली पीढ़ियों के लिए और भी मजबूत बने। उन्होंने कहा कि हमें खुद की पार्टियों में लोकतंत्र लाना चाहिए। हमारी पार्टी में हमारे नेता एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर से लोकतंत्र स्थापित किया और राजशाही को समाप्त किया।
