
कुरुक्षेत्र 12 अगस्त। कला सीखने तथा प्रस्तुत करने की कोई उम्र नहीं होती। अपने भीतर छुपी प्रतिभा को कलाकार जब मंच पर प्रस्तुत करते हैं तो दृश्य वास्तव में प्रशंसनीय होता है। ऐसा ही कुछ कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में देखने को मिला। मौका था हरियाणा कला परिषद की ओर से कला सृष्टि मंच की ओर से नाटक अपना घर के मंचन का। इस अवसर पर डा. जयभगवान सिंगला, डा. ऋषि गोयल, अन्नपूर्णा शर्मा, शालिनी शर्मा, अश्विनी अरोड़ा, प्रो. शुचिस्मिता शर्मा, डा. करण शर्मा आदि अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। बृज शर्मा के लेखन और निर्देशन में सजे नाटक अपना घर में कलाकारों ने आपसी रिश्तों के टूटने से होने वाली मन की पीड़ा को दर्शकों तक पहुंचाने का काम किया गया। कलाकारों ने अलग-अलग घरों में चल रही घटनाओं को दिखाने का प्रयास किया। जिसमें एक शराबी पति बाबूराम, उसकी पत्नी माल्ती और मंदबुद्धि बच्ची भोली की कहानी को दिखाते हुए कलाकारों ने बताया कि शराबी पति अपने बीवी-बच्चों की ओर ध्यान न देते हुए अक्सर उनके साथ मारपीट करता रहता है। एक दिन होली के मौके पर कुछ गुण्डे भोली के साथ बलात्कार करते हैं। ये घटना भोली के मां बाप को अंदर तक झकझोर देती है। बाद में एक दिन भोली एक कार एक्सीडेंट में मारी जाती है। बाप की अनदेखी बाबूराम के पूरे परिवार को अंधेरे में झोंक देती है। दूसरी कहानी एक मां और बेटी की चलती है, जिसमें बेटी अपनी मां को अनसुना करके अपने ऐशोआराम की जिंदगी जीती है। मां बार-बार अपनी बेटी को शादी करने के लिए कहती है, लेकिन मां के समझाने पर भी बेटी एक नहीं सुनती और बाद में इस बात का खामियाजा उसे भुगतना पड़ता है। अगली कहानी विदेश में बसे बच्चों और उनकी मां की तड़प को बयां करती है। जिसमें अकेलेपन की शिकार मां अपने बच्चों के समय के लिए तरसती रहती है लेकिन उसके बच्चे उसे समय नहीं देते। अंत में मां अकेली भारत वापिस आ जाती है और अपने अकेलेपन के साथ ही जिंदगी बसर करती है। एक कहानी में लिव इन रिलेशनशिप की ओर भाग रहे युवाओं के अंजाम को दिखाया गया। इस तरह अलग-अलग कहानियों से नाटक ने टूटते घरों की तड़प को दिखाया। नाटक में बृज शर्मा, शिवकुमार किरमच, रेणू खुग्ग्गर, नीरज आश्री, आशी खेत्रपाल, सुनील, दीपक कौशिक, रिंकू छाबड़ा, मान्सी सेतिया आदि ने भूमिकाएं निभाई।
