डिब्रूगढ़ में श्रमण मुनि श्री 108 अरिजित सागर महाराज का केशलोंच तपस्या कार्यक्रम आयोजित
In Dibrugarh, the program of Keshlonch Tapasya of Shramana Muni Shri 108 Arijit Sagar Maharaj was organized


पूर्वोत्तर की धर्म धरा चाय नगरी डिब्रूगढ़ में परम पूज्य चर्या शिरोमणि आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री 108 अरिजित सागर जी महाराज की केशलोंच तपस्या मुनि श्री 108 अरिजित सागर पावन वर्षायोग समिति, डिब्रूगढ़ के सौजन्य से श्री दिगंबर जैन मंदिर पंचायत , ग्राहम बाजार , डिब्रूगढ़ के तत्वाधान में श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में हाल ही में आयोजित की गई | ज्ञातव्य हो कि संसार की समस्त साधनाओं में सर्वश्रेष्ठ एवं कठोरतम साधना है ” केशलोंच ” | दिगंबर जैन मुनि की साधना का एक अंग है केशलोंच |
दिगंबर जैन मुनि केशलोंच क्यों करते हैं ? इसके तीन कारण है :-
पहला कारण है, दिगंबर साधु के 28 मूलगुणों में एक मूल गुण है, श्रृगांर रहित होना । दूसरा कारण है, दिगंबर मुनियों का परिणहजयी होना। मुनि परिणहों पर विजय प्राप्त करने के लिये ही अपने केशों को उखाड़ते हैं। केशलोंच का तीसरा कारण है ‘ अहिंसा । केश यदि लंबे और घने होंगे तो उसमें अनगिनत जीवों की उत्पत्ति होगी और उनका उस में मरण भी होगा। इसी कारण केशों के लम्बे रहने से होनेवाली हिंसा के पाप से बचने के लिये ही मुनि अपने केशों का लोंचन करते हैं।
उक्त पुनीत अवसर पर ” केशलोंच
समारोह ” की शुरुआत मंगलाचरण से की गई। तत्पश्चात् प्रात: 9-15 बजे डिब्रूगढ निवासी कुंदनमल रुपचंद बगडा परिवार के करकमलों से दीप प्रज्जवलन एवं मुनि श्री की आरती की गई। इस अवसर पर स्थानीय एवं बाहर से पधारे श्रावकगण काफी संख्या में उपस्थित थे। केशलोंच का कार्यक्रम प्रात: 9.30 बजे से प्रारंभ किया गया जो कि दिन के 10.30 बजे समाप्त हुआ।
केशलोंच का नजारा देखने के लिये बच्चें, कुंवारियां, महिलाएं एवम पुरुष वर्ग के लोगों ने काफी रुचि दिखलाई। वे एकटक इस केशलोंच क्रिया को निहारते रहे। कई लोगों ने तो दांतो तले उंगली भी दबाई । मुनिश्री के के को बीच-बीच में झेलने की क्रिया भी की गई। केशलोंच झेलने का सौभाग्य पुण्यार्जक परिवार ” जोरावलमल राजेश कुमार बगडा ” को प्राप्त हुआ। इसके बाद पिच्छिका झेलनी की बारी आई। जिसका सौभाग्य ” ईश्वरलाल हंसराज जैन ” को मिला। गुरुदेव को शास्त्र भेंट किया गया , जिसका सौभाग्य पूण्यार्जक परिवार जोरावरमल बिमल कुमार बगडा को मिला। कार्यक्रम के समापन पर अपार दर्शनाभिलाषीयों के बीच गुरुदेव का पाद प्रक्षालन भक्तिभाव पूर्वक हर्षोल्लास के साथ किया गया। जिसका सौभाग्य ” जोरावरमल कमल कुमार बगड़ा ” को प्राप्त हुआ। उपस्थित धर्मप्रेमी बंधुओं एवं बाहर से पधारे अभ्यागत अतिथियों के लिये चाय-पानी नाश्ता की समुचित व्यवस्था मेसर्स गोपीलाल महेश कुमार झांझरी परिवार की ओर से की गई। कार्यक्रम के दौरान आमंतित्र अतिथियों का समाज की ओर से दुपट्टा , माला पहनाकर तथा पुस्तक भेंट कर सम्मान किया गया | उक्त जानकारी समाज के प्रचार सचिव मोतीलाल पाण्ड्या एवं पंकज गोधा द्वारा संयुक्त रूप से एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी गई है |
