दिल्ली रिज वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में नया पेंच, सुनवाई करने वाली बेंच पर हुआ विवाद

New twist in the case of felling of trees in Delhi Ridge forest area, dispute over the hearing bench

नई दिल्ली,राजधानी के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर अलग-अलग पीठों के समक्ष लंबित दो अलग-अलग अवमानना ​​कार्यवाही पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह ‘न्यायिक औचित्य में विश्वास करता है और नहीं चाहता कि मामले में कोई विरोधाभासी आदेश पारित किया जाए। यह टिप्पणी करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि विरोधाभासी आदेशों से बचने के लिए रिज क्षेत्र में पेड़ों से कटाई को लेकर अवमानना की कार्यवाही से संबंधित मामलों की सुनवाई एक पीठ द्वारा करना उचित होगा। रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर डीडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की कार्यवाही चल रही है।जस्टिस बीआर गवई, पीके मिश्रा व केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि जब एक पीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही थी तो क्या बाद की पीठ को इस पर गौर करना चाहिए था। जस्टिस गवई ने कहा कि पेड़ों की कटाई के संबंध में अवमानना ​​कार्यवाही इस साल 24 अप्रैल को उनकी अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने भी मई में इस मुद्दे पर अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की थी। उन्होंने कहा कि दूसरी पीठ के लिए यह अधिक उपयुक्त होता कि वह उसी कारण से अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने से पहले इस बारे में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से स्पष्टीकरण लेते कि ‘किस पीठ को उक्त कार्यवाही जारी रखनी चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को उचित आदेश के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि वह अपने द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं रखती है क्योंकि अन्य पीठ के समक्ष पहले से ही कार्यवाही आगे बढ़ चुकी है।  जस्टिस गवई ने कहा कि ‘हम कोई विरोधाभासी आदेश नहीं चाहते हैं क्योंकि कम से कम हम न्यायिक औचित्य में विश्वास करते हैं।

 

 

 

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